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गांव के जमींदार के लिए कोठेवाली ने अपने कोठे पर खास महफिल का आयोजन किया था. अदाकारी पेश करने के बाद कोठेवाली जमींदार को अपने कमरे में ले जाती है और उसे अपने जिस्म से खुश करने लगती है. जमींदार भी कोठेवाली को अपने मजबूत बाहों में पकड़कर उसके जिस्म का रोम रोम चुमता है. उसकेआर्मपिट्स भी वो जीभ से चाट लेता है.फिर कोठेवाली जमींदार के शर्ट के बटन खोलती है और उसकी छाती के निप्पल्स जीभ से टटोलने लगती है. जमींदार के मजबूत जिस्म की तपिश कोठेवाली अपने जीभ से शीतल करने लगती हैं. कोठे में चल रहे मधुर संगीत का आशीर्वाद लेते हुए यह कोठेवाली और जमींदार प्रणय आराधना में लीन हो जाते हैं.
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