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बीमार सासूमाँ की सेवा का बहना कर मैं फिर से ससुराल चली गई. सासूमाँ की सेवा तो बस बहाना था, मुझे तो बस ससुरजी से चुदना था.मैं कमरे में कपड़े बदल रही थी. इतने में ससुरजी आए और मुझे बाहों में भर बोले, “अभी तो कपड़े उतारने का समय हुआ है.” ऐसे बोलकर वो मेरी ब्लाउज के हुक्स निकालते हुए मेरे होंठ, गला चुमने लगे.
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